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हर दिन एक नई शुरुआत है । नए सवेरे के साथ बीते ओस कण संवाहक है - साथ चल देने के , बिना किसी तर्कजाल में फसे आत्मा की आवाज अपने दिल की धड़कन के साथ धड़कने का फलसफा । तट पर तूफानों का आना - जाना लगा ही रहता है , पर इस डर से कश्तियाँ सागर में उतरने से इंकार नहीं कर देती ।
इन सबसे परे संझाबेला की सुप्त उदासियों में भी एक जीवन उत्सव से जगमगाता है और वही कही पर अंतस्तल की गहराईयों को अपने में समेटे सागर की हिलोरों में निशा की झलमला में शीतलता को पाता सूरज विश्राम पा रहा होता है , जैसे ये सूरजमुखी भूतल में आकाश को निहारता सागर की अथाह समेटे ।
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
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